उत्तराखण्ड – नए वित्तीय वर्ष में राजस्व जुटाने की बड़ी चुनौती,बढ़ते खर्च की पूर्ति के लिए विभागों की बढ़ेगी जिम्मेदारी

उत्तराखंड सरकार के सामने नए वित्तीय वर्ष में राजस्व जुटाने की बड़ी चुनौती होगी। वेतन पेंशन भत्तों के साथ विकास कार्यों और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर बढ़ने वाले बजट भार को उठाने के लिए राजस्व जुटाने वाले विभागों को अधिक प्रयास करने होंगे। कर और करेत्तर राजस्व के रूप में आय बढ़ाने की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी जिसमें लगभग 3500 करोड़ रुपये अधिक पाने होंगे।

 नए वित्तीय वर्ष में वेतन, पेंशन, भत्तों के साथ विकास कार्यों और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर बढ़ने वाले बजट भार को उठाने के लिए राजस्व जुटाने वाले विभागों को जमकर पसीना बहाना पड़ेगा। कर और करेत्तर राजस्व के रूप में आय बढ़ाने की उनकी जिम्मेदारी और बढ़ने जा रही है।

मात्र कर राजस्व के रूप में उन्हें लगभग 3500 करोड़ रुपये अधिक पाने होंगे। एसजीएसटी, वैट, आबकारी, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन, खनन में अब तक 66 प्रतिशत से लेकर 81 प्रतिशत तक राजस्व लक्ष्य प्राप्त हो चुका है।
विभागों के उत्साह दृष्टिगत वार्षिक राजस्व लक्ष्य पाने की उम्मीद है। ऐसे में चालू वित्तीय वर्ष में कर राजस्व 22,509 करोड़ रुपये के लक्ष्य को अगले बजट में 26 हजार करोड़ के आसपास रखने की तैयारी है।
प्रदेश सरकार गरीबों, कमजोर और वंचित वर्गों, वृद्धों, महिलाओं और दिव्यांगों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बजट में लगातार वृद्धि कर रही है। साथ ही प्रति वर्ष राज्य में कार्मिकों के वेतन, भत्तों के साथ ही पेंशन मद के खर्च भी बढ़ रहे हैं।
राजस्व खर्च में वेतन, मजदूरी, पेंशन और ब्याज भुगतान के रूप में वचनबद्ध मद और अन्य वचनबद्ध मदों में खर्च बढ़ रहा है। राजकोष पर अधिक व्ययभार को संभालने में केंद्र सरकार से मिल रहे वित्तीय अनुदान की बड़ी भूमिका है।
इस क्रम में प्रदेश सरकार ने अपने वित्तीय संसाधन बढ़ाने के लिए तेजी से हाथ-पांव मारने शुरु कर दिए हैं। पांच वर्षों में स्वयं के साधनों से राज्य ने कर राजस्व में 7732 करोड़ अधिक प्राप्त किए हैं।
वित्तीय वर्ष 2024-25 को समाप्त होने में अब लगभग ढाई माह का समय शेष रह गया है। इस वर्ष कर और करेत्तर राजस्व के रूप में 27,383 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य रखा गया। नौ जनवरी, 2025 तक लगभग 18,777 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं।
कुल राजस्व का यह लगभग 69 प्रतिशत है। वार्षिक लक्ष्य की तुलना में एसजीएसटी में 66 प्रतिशत, आबकारी में 77 प्रतिशत, वैट में 78 प्रतिशत, परिवहन में 68 प्रतिशत और स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन में 76 प्रतिशत कर प्राप्त किया जा चुका है। खनन में सर्वाधिक 81 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त हुआ है।
कुल विभागों का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। इनमें ऊर्जा ने करेत्तर राजस्व के रूप में मात्र 14 प्रतिशत वसूली की है, जबकि इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के रूप में मात्र 50 प्रतिशत राजस्व लक्ष्य की प्राप्ति हो सकी। वन विभाग ने करेत्तर राजस्व के रूप में 50 प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया है। जलकर के रूप में भी राजस्व वसूली मात्र 27 प्रतिशत रही है।